21 जन॰ 2015

 दिल्ली कहते हैं दिल वालों की है । लेकिन हमारे नेता दिल वाले नहीं हैं । पिछले 2 सालों से दिल्ली को लेकर जैसी लै लै -दै दै मची हुयी है उससे दिल्ली फिर ढिल्ली हो गयी है । दिल्ली पिछले 2 साल से हरेक राजनीतिक दल के लिए दूर बनी हुयी है और इनमें इसे पाने के लिए खिंचतान जारी है। केजरीवाल कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए निज़ामुद्दीन औलिया बने हुये हैं और कहते रहे हैं "हनुज दिल्ली दूर अस्त " दिल्ली अभी दूर है । देखना है क्रेन बेदी , मफ़लर की गुंजलक से दिल्ली को आजाद करा पातीं हैं या मफ़लर की पकड़ में दिल्ली सहज होगी। जो भी हो राजनीति तो बदलेगी ।  

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