26 जून 2014

अग्निवर्षा के बीच पानी मौजूद है : बुद्ध ग्रह

अग्निवर्षा के बीच पानी मौजूद है : बुद्ध ग्रह


हाल ही में अमेरिकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा भेजे गए ग्रहीय यान मसेंजर (संदेशवाहक) ने बहुत से आंकड़े और तस्वीरें भेजीं हैं। वैज्ञानिक इन तसवीरों का विश्लेषण करके बुद्ध से संबन्धित अपनी संकल्पनाओं को और सटीक बनाने में जुटे हुये हैं। इसी क्रम में एक चौंकाने वाले अनुमान को बल मिला है कि बुद्ध ग्रह पर भी पानी की मौजूदगी संभव है।
बुध है कुछ खास: 
सूर्य से सबसे नजदीक होने के कारण बुध सभी ग्रहों से खास है। यह सबसे छोटा ग्रह भी है हमारे सौर परिवार का। प्राचीन सभ्यताओं में भी इसे पहचान लिया गया था। ग्रीक साहित्य में इसे अपोलो (भोर) और हरमिस (शाम) के नाम से जाना जाता है। यह ग्रह अपनी धुरी पर 175.97 पृथ्वी दिनों में अपनी धुरी पर घूम जाता है जबकि अपनी कक्षा में सूर्य का मात्र 58 पृथ्वी दिनों में यह चक्कर पूरा कर लेता है। यानि बुध पर दिन, साल से छोटा होता है। मतलब यह कि आप बुध पर अपना जन्मदिन लगभग रोज़ मना सकते हैं। बुध का वातावरण बेहद जटिल और विषम है। यहाँ अधिकतम तापमान 450°C और न्यूनतम तापमान – 170°C से भी नीचे चला जाता है। वातावरण ना नन के कारण बुध पर लगातार उल्कापात होता रहता है जिसके कारण पूरा ग्रह उल्का क्रेटरों से भरा है। 1500 किलोमीटर व्यास का  कैलोरिस बेसिन नामक क्रेटर ना केवल बुद्ध का सबसे बड़ा बल्कि सौर मण्डल का सबसे बड़ा क्रेटर है। 
अरेशीबो वेधशाला का है कमाल  कई वर्षों से प्योर्तो रिको स्थित अरेशीबो वेधशाला बुध ग्रह का प्रेक्षण कर रही है। 1000 फीट व्रस की यह वेधशाला विश्व की सबसे बड़ी एकल रेडियोवेधशाला है जिसे 1960 में स्थापित किया गया था। इसी वेधशाला की मदद से गॉर्डन पेटेंगिल्स और उनके साथियों ने यह पता लगाया था कि बुध ग्रह मात्र 59 दिनों में अपनी धुरी का एक चक्कर पूरा कर लेता है जबकि पहले यह माना गया था कि बुद्ध का परिभ्रमण काल 88 दिन है। अरेशीबो वेधशाला से ही वैज्ञानिकों ने न्यूट्रोन तारे के अस्तित्व की पुष्टि की, पहले द्वितारे (बाइनरी) खोजे और पहली बार सौर परिवार से बाहर के ग्रह खोजे। जेम्स बॉन्ड की फिल्म गोल्डन आई के अलावा यह वेधशाला द स्पीशीज़ और X- फाइल्स जैसी प्रसिद्ध फिल्मों में भी दिखी है। कुछ समय से इसे सेटी (SETI: search for Extraterrestrial Intelligence) के प्रोजेक्ट हेतु भी उपयोग किया जा रहा है।
अरेशीबो संकल्पना : अरेशीबो द्वारा एकत्रित आंकड़ों के आधार पर निर्मित रेडियो चित्रण से पता चला कि बुध के सभी हिस्से समान रूप से रेडियो किरणों को परावर्तित नहीं करते। कुछ हिस्से जो अधिक मात्र में परावर्तन करते हैं वे मुख्य रूप से ध्रुवों के आस पास स्थित हैं। इस विषय में एक
संकल्पना यह थी कि संभवतः इन हिस्सों में जमी हुयी बर्फ है जो अधिक परावर्तन का कारण है। मेसेंजर यान द्वारा भेजी गयी तसवीरों को जब अरेशीबो वेधशाला के रेडियो चित्रों के साथ मिलाया गया तो पता चला कि अधिक परावर्तन वाले ये हिस्से (पीले स्थान) दरअसल क्रेटर हैं और अधिक परावर्तन वाले हिस्सों की संख्या ऊतरी ध्रुव की ओर बढ़ती जाती है। इसके अलावा यह भी देखा गया कि ये सभी हिस्से बुध के ध्रुवों के उन हिस्सों में स्थित हैं जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुँच पाती (लाल रंग ) अर्थात बड़े और गहरे क्रेटरों कि तलहटी या दीवारें। दरअसल बुध सूर्य से सबसे करीब स्थित ग्रह है। इसी वजह से प्रकाशमान हिस्सों में यहाँ तापमान लगभग 400° C से अधिक हो जाता है लेकिन क्रेटरों की तलहटी में जहां सूर्य कि किरणें नहीं पहुँच पातीं तापमान – 170°C से भी नीचे चला जाता है। इतने कम तापमान पर उल्काओं के साथ आया पानी यहाँ जमा रह सकता है।
तस्वीरें व संदर्भ : नासा (शैक्षणिक एवं सामान्य ज्ञान हेतु उपयोग) 

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