11 नव॰ 2013

होनी अनहोनी

गाना था बचपन में सुना था - होनी को अनहोनी कर दें अनहोनी को होनी, अमर अकबर एंथोनि। अपने बौडीवुड (BOWDYWOOD) वाले भी अक्सर बड़ी यूजफूल वस्तुएँ लोकसेवा में अर्पित करते रहते हैं। यह उसी की मिसाल है।
अब देखिये ना। गौहाटी से कैसी गोटियाँ खेली गईं है। याचिका सी बी आई को लेकर दायर हुयी और सरकार के नुमाइंदे कोर्ट में ऐसी कोई दलील नहीं रख पाये जो माननीय जज साहब को संतुष्ट कर पाती कि सी बी आई का गठन पूरी तरह वैध था। तो जो अनहोनी  तय थी वह हो गयी। सी बी आई असंवैधानिक घोषित कर दी गयी और आश्चर्य यह कि जो विपक्ष संसद ठप्प कर कर के जनता को अभी तक चला रहा था उसकी ज़ुबान भी खामोश। रस्म अदायगी के लिए सभी चैनलों ने तीसरी लाइन के नेताओं और दोयम दर्जे के विशेषज्ञों से चर्चा पूरी कर ली और टी आर पी की कृपा से जितने प्रचार मिले जेब में डाले। उधर जनता तो खैर लगी पड़ी है अपने खर्चे पूरे करने में। उसे क्या फरक पड़ रहा है कि सी बी आई सही तरह से गठित हुयी थी या नहीं। उसने तो जब से होश संभाला है यही देखा है कि सी बी आई भले ही कैसे भी गठित हुयी हो उसका गठन ऐसा है कि वह किसी भी तरह के अवैध कार्यों की जांच वैध तरीके से कर ही नहीं पाती। हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर उसकी जांच बीरबल की खिचड़ी की तरह अनंत काल के लिए चलती है। सी बी आई कोई उसके लिए तो बनी नहीं जो चेन झपटने, चोरी, डकैती या घूस से उसे निजात दिलाये। 

तो भैया यह एक नया खेल है जिसमें खेल को बदलना होता है (अङ्ग्रेज़ी में गेम चेंजर कहलाता है ) और आज कल यह भारत की युवा राजनीति की देन माना जा रहा है। इसमें अक्सर ही देखने में आता है की किसी मुद्दे की बहस की हवा संवैधानिक या असंवैधानिक सिद्ध करके निकाल दी जाती है। देश के चिरयुवा नेता ने अभी कुछ दिन पहले जनलोकपाल की हवा ऐसे ही संवैधानिक हल दे कर निकाल दी थी। और अब सी बी आई की असंवैधानिकता ने सभी घोटालों की हवा निकाल दी है।  

खैर अभी तक देश में घोटाले होते थे तो लिमिट में पर जब यूपीए को अनलिमिटेड सत्ता जनता ने दी तब देश को कांग्रेस के नेता एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाने लगे और घोटालों की एक अनलिमिटेड सूची सामने आने लगी। कलमाड़ी, राजा राजनीति के धोनी बन कर रोज़ अनहोनी करने लगे और घोटाले की रकम के शून्य बढ़ते बढ़ते अनलिमिटेड हो कर राडिया टेप से होकर कोयला तक पहुँचने लगे तो सी बी आई की मुश्किलें भी बढ़ गईं। कोर्ट की निगरानी से बात हाथ से निकाल गयी। कोयला घोटाले की परतें खोली जाने लगीं तो लगा की देश का पूरा तंत्र असल में सड़ कर कोयले की तरह ही काला हो चुका है।

आए दिन यह कालिख कभी प्रधानमंत्री, कभी गृहमंत्री, विपक्ष, सपक्ष और अपक्ष यानि देश के धन कुबेरों तक उड़ने लगी। अब अनहोनी होने लगी थी। अब कालिख को झाड़ कर साफ करने का वक्त आ चुका था और यही इसी समय यह अनहोनी हुयी की सी बी आई असंवैधानिक घोषित हुयी और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी गरिमामय हो कर इस पर स्टे लगा दिया। अब सभी प्रकार की जाँचें भी स्टे में ही रहेंगीं। सरकार को राहत मिली।

अब इस होनी और अनहोनी के समय को लेकर आप यह न कहिए की षड्यंत्र है क्यूंकी कवि कह गया है की जब अमर अकबर और एंथोनि (कृपया इसमें भी किसी तरह की साम्यता न खोजें) एक ही जगह जमा हो जाते हैं तो ऐसी होनी अनहोनी होती ही रहतीं हैं। बाकी आप तो खेल का आनंद लीजिये। 

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