2 फ़र॰ 2011

दिल तो बच्चा है जी - अंत ज़रा कच्चा है जी

दिल तो बच्चा है जी देखने गया था। मधुर भंडारकर की है इसलिए भी उत्सुकता थी। देखी। पर भंडारकर गच्चा खा गए। फिल्म इर्द गिर्द घूमती है महानगर में तीन अलग अलग लोगों कि ज़िंदगियों के आस पास। तीनों का ज़िंदगी को ले कर अपना दर्शन है। अभय वन नाईट स्टेंड में विश्वास रखने वाला पुरुष वेश्या है। परजीवी है। इसी से उसकी रोज़ी रोटी चलती है। दूसरी ओर अधेड़ उम्र का बैंक मैनेजर है जिसका तलाक हो चुका है और तलाक होते ही वह अपनी नई सेक्रेटरी जून पर फिदा हो जाता है। और जून भी नई पीढ़ी कि उस बिरादरी से है जिसका हर संदर्भ अमेरिका या यूरोप से शुरू होता है और वहीं खतम भी होता है, जिसमें मेक अप और ब्रेक अप रोजाना की बात है। एक तीसरा आयाम है मिलिंद का जो प्रेम को उसी नज़रिये से देखता है जिससे हम और आप और हमारा बॉलीवुड देखता आया है। वह पड़ा है गुनगुन के चक्कर में जो उसे यूज़ करती है। अब कहानी को कौमेडी बनाने पर जो ध्यान दिया जाना चाहिए था नहीं गया है और महानगर कि नंगी संस्कृति और अकेलेपन को जिस शिद्दत से दिखाया जा सकता था नहीं दिखाया जा सका है नतीजतन यह एक ऐसी फिल्म बन जाती है जिसमें बक़ौल फिल्म की एक पात्र " हुमर भी नहीं है और सेंस भी नहीं " पूरी फिल्म में दर्शक को पता होता है कि आगे क्या होगा और जहां कौमेडी की गई है वह भी इतनी बार दोहराई गई है कि अब उसमें से हंसी निकाल पाना वैसा ही है जैसे निचुड़े नींबू सी रस निकालने कि कोशिश। खैर फिल्म में एक कहानी है और यदि आप बहुत ऊंची अपेक्षाओं के साथ नहीं जाते है तो फिल्म देखी जा सकती है। मधुर खुद अपने जाल में फंस गए हैं। फिल्म के अंत से ठीक पहले अंत हो जाता है लेकिन मधुर हिम्मत नहीं कर पाये है इस अंत को अंत बना रहने देने को। अजय देवगन की माशूका की शादी उसके मेक अप ब्रेक अप बॉय फ्रेंड से हो जाती है तो अभय जो कि इस समय एक ऊबी हुयी औरत का रखैल बना हुआ है उसी की बेटी से दिल लगा लेता है। लेकिन यहाँ उसे सेर को सवा सेर मिल जाता है और उसे मक्खी की तरह निकाल कर फेक दिया जाता है। उधर गुनगुन का दीवाना मिलिंद गुनगुन को 200000 रुपये दे कर हेल्प करता है बदले में प्रेम की जगह एक गुलदस्ता और पत्र पा कर टूट जाता है।  फिल्म यहीं खतम होती तो सार्थक लगती। पर हाये रे हिन्दी फिल्मों का हैप्पी एंडिंग फंडा। मधुर को व्यंग और हास्य दोनों में तालमेल बैठने की जरूरत है। में इस फिल्म को 2.5 स्टार्स दे रहा हूँ।

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