10 फ़र॰ 2011

पाकिस्तान में आत्मघाती हमला - 21 की मौत

पाकिस्तान की आत्मघाती प्रवृत्तियाँ ही इस आत्मघात की जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान खुद तो अशांत है ही अपने क्षेत्र को भी अशांत करता रहा है। एक देश के रूप में पाकिस्तान पूरी तरह से व्यर्थ रहा है। पाकिस्तान के लोगों को भी अपने मिस्री भाइयों से प्रेरणा ले कर एक भीषण जनांदोलन खड़ा कर देना चाहिए जम्हूरियत के पक्ष में और तानाशाही के विरुद्ध। आतंकवाद से अमेरिकी लड़ाई  उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितनी गरीबी, भुखमरी और बेकारी से लड़ाई। अमेरिका तो अपनी लड़ाई फिर भी लड़ ही लेगा पर पाकिस्तान को यह लड़ाई खुद ही लड़नी होगी।  पाकिस्तान की आवाम को अब अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए जम्हूरियत, अमन और तरक्क्क़ी के लिए। एक अमनपसंद पाकिस्तान भारत का बेहतरीन पड़ोसी हो सकता है।

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